Holi festival in Hindi होली रंगों का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की
जीत को दर्शाता है यह बहुत ही लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है जो भारत और नेपाल
में बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है होली का त्यौहार हिंदू
कैलेंडर में फाल्गुन के महीने में आता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी
मार्च के महीने से मेल खाता है होली 2 दिनों के लिए मनाया जाने वाला
त्यौहार है पहला दिन होलिका दहन के रुप में मनाया जाता है जब लोग रात में
होलिका के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और उसकी पूजा करते हैं और अपने सभी
आंतरिक बुराइयों को आग में नष्ट करने का प्रयास करते हैं।
दूसरे दिन एक नया आनंद और उत्साह का त्यौहार मनाया जाता है जब लोग एक साथ मिल जुलकर एक दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हैं इस दिन विशेष रूप से पेय पदार्थ और मिठाइयां बनाई जाती हैं पेय पदार्थ में भांग का सेवन इस दिन ठंडाई के रूप में किया जाता है और दिन भर रंगों से होली खेली जाती है।
प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण कर्ता दंडिन और रत्नावली से जुड़े संस्कृत गद्य दसकुमार चरित्र मैं सातवीं शताब्दी में लिखे गए एक संस्कृत नाटक में होली का वर्णन मिलता है प्रसिद्ध शास्त्रीय संस्कृत लेखक और कवि कालिदास जी ने चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल के दौरान चौथी सदी के आसपास इस त्यौहार का उल्लेख किया है।
होलिका दहन को लेकर भगवत पुराण के अनुसार एक बार एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप रहता था जो मुल्तान पर शासन करता था ब्रह्मा जी ने कई वर्षों की तपस्या के बाद उन्हें एक वरदान दिया था जिसने उसे एक प्रकार से अमर बना दिया था इस वरदान को पाकर हिरण्यकश्यप ने खुद को भगवान के रूप में मानना शुरू कर दिया और अहंकार में लोगों को केवल उसकी पूजा करने के लिए मजबूर करने लगा|
हालांकि उसका पुत्र पहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे और अपने पिता के अनुदेश के बावजूद उनको प्रार्थना करना जारी रखते थे जिससे राजा क्रोधित हो गया और पहलाद को अपने निर्देशों का पालन ना करने के लिए हिरणकश्यप ने अपने लड़के को बहुत ही कठोर तरीके से दंडित किया लेकिन हर बार पहलाद उनके डंडों से बचकर अप्रभावित रहे इन सभी चीजों को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका देख रही थी उन्होंने पहलाद को धोखा देकर अपनी गोद में बैठा लिया और और जलती आग में बैठ गई जल्दी ही होलिका आग में जलने लगी जबकि पहलाद अप्रभावित रहते हुए वापस आ गए।
इस तरीके से पहलाद को मारने के सारे तरीके असफल हो गए जिससे हिरणकश्यप बहुत ही ज्यादा नाराज हो गया और भगवान विष्णु को भगवान नरसिंह के अवतार में पेश करने वाला एक स्तंभ तोड़ दिया भगवान नरसिंह राक्षस राजा को अपनी तेज नाखूनों से मार दिया इस प्रकार होली का त्यौहार के पहले दिन की रात को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन पौराणिक कथाओं में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है पहले के समय में कई उपासक अगले दिन अपने माथे पर होली की राख को लगाया करते थे समय के साथ-साथ यह राख रंग और गुलाल में परिवर्तित हो गई और होली का एक हिस्सा बन गई।
भगवान
कृष्ण की भूमि ब्रज भूमि में होली को राधा और भगवान कृष्ण के अनंत प्रेम
की स्मृति में 16 दिनों तक मनाया जाता है यह त्यौहार जो कि आखरी पूर्णिमा
या हिंदू कैलेंडर के महीने फाल्गुन की पूर्णिमा में मनाया जाता है जो कि
ग्रेगोरियन कैलेंडर में फरवरी-मार्च में आता है यह त्यौहार सर्दियों के
मौसम का अंत और बसंत की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है
भारत के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार कई हिंदुओं के लिए एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है यह अच्छी कृषि और फसल के लिए धन्यवाद देने के रूप में मनाया जाता है।
लोग इस त्यौहार की पहली रात को राक्षस होलिका को जलाने के रूप में प्रतीकात्मक तरीके से होलिका दहन के रूप में मनाते हैं वह इनके चारों और इकट्ठा होकर गायन और नृत्य के बीच अनुष्ठान करते हैं अगले दिन होलिका दहन की शांत हुई राख को लोग अपने माथे पर लगाते हैं और अपने घर ले जाते हैं जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होती है।
रंगों
से भरी होली दूसरे दिन की सुबह शुरू होती है जो धुड़ेरी के रूप में मनाई
जाती है इस दिन युवा और बूढ़े बुजुर्ग लोग सभी मिलकर रंगों के इस त्यौहार
में एक दूसरे पर गुलाल और रंग लगाते हैं। परिवार दोस्तों रिश्तेदारों
पड़ोसियों और परिचितों को एक साथ रंगों से खेलने रंगीन पानी भरे गुब्बारे
एक दूसरे को मारने और पिचकारी का इस्तेमाल इस दिन किया जाता है।
सुबह से शाम तक इस तरह रंगों का लगाना और एक दूसरे से मिलना जुलना लगा रहता है इस दिन लोग ठंडाई के रूप में भांग के नशे का उपयोग कई तरह से मिठाई और भांग की गोली के रूप में भी करते हैं इस तरह होली का त्यौहार एक भव्य और रंगीन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
रंगो का त्यौहार सकारात्मक ऊर्जा का माहौल स्थापित करता है पुराने दोस्तों के साथ एकजुट होकर नए लोग भी इस त्यौहार का अभिन्न अंग बन जाते हैं यह त्यौहार भी राधा और भगवान कृष्ण के प्रेम लीलाओं को याद करते हुए प्रेम का संदेश देता है लोग एक दूसरे से मिलते हैं उन को रंग लगाते हैं और बधाइयां देते हैं साथ ही साथ वह मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते है
ब्रजभूमि के क्षेत्र में एक चंचल परंपरा का पीछा करते हुए पुरुषों को ढाल और महिलाओं को लट थमा दिया जाता है जहां पर महिलाएं लट्ठमार होली का आयोजन करती है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
गुजरात के अहमदाबाद में लड़के इकट्ठे होकर एक पिरामिड का निर्माण करते हैं जिसमें वह जमीन से ऊपर बंधे हुए मक्खन को लेने का प्रयास करते हैं जबकि लड़कियां उन्हें रोकने के लिए उन पर रंग और पानी की बौछार डालती हैं यह आयोजन भगवान कृष्ण की कथा पर आधारित होता है जोकि अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन चुराने का प्रयास करते थे।
सिख समुदाय इस समय मार्शल आर्ट कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है जिसमें कई तरह की कलाबाजियों का प्रदर्शन के साथ कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
दूसरे दिन एक नया आनंद और उत्साह का त्यौहार मनाया जाता है जब लोग एक साथ मिल जुलकर एक दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हैं इस दिन विशेष रूप से पेय पदार्थ और मिठाइयां बनाई जाती हैं पेय पदार्थ में भांग का सेवन इस दिन ठंडाई के रूप में किया जाता है और दिन भर रंगों से होली खेली जाती है।
होली की शुरुआत कैसे हुई – Holi Origin And History in Hindi
भारतीय त्योहारों में जब होली की बात आती है तो होली के इतिहास में पुराणों में इसकी जानकारी प्राप्त होती है होली की पारंपरिक विधि और होली के इतिहास को लेकर मिथकों की एक विस्तृत श्रंखला मौजूद है जिसमें कई हिंदू देवी देवताओं के नाम जुड़े हुए हैं।प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण कर्ता दंडिन और रत्नावली से जुड़े संस्कृत गद्य दसकुमार चरित्र मैं सातवीं शताब्दी में लिखे गए एक संस्कृत नाटक में होली का वर्णन मिलता है प्रसिद्ध शास्त्रीय संस्कृत लेखक और कवि कालिदास जी ने चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल के दौरान चौथी सदी के आसपास इस त्यौहार का उल्लेख किया है।
होलिका दहन – Holika Dahan in Hindi
होलिका दहन को लेकर भगवत पुराण के अनुसार एक बार एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप रहता था जो मुल्तान पर शासन करता था ब्रह्मा जी ने कई वर्षों की तपस्या के बाद उन्हें एक वरदान दिया था जिसने उसे एक प्रकार से अमर बना दिया था इस वरदान को पाकर हिरण्यकश्यप ने खुद को भगवान के रूप में मानना शुरू कर दिया और अहंकार में लोगों को केवल उसकी पूजा करने के लिए मजबूर करने लगा|
हालांकि उसका पुत्र पहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे और अपने पिता के अनुदेश के बावजूद उनको प्रार्थना करना जारी रखते थे जिससे राजा क्रोधित हो गया और पहलाद को अपने निर्देशों का पालन ना करने के लिए हिरणकश्यप ने अपने लड़के को बहुत ही कठोर तरीके से दंडित किया लेकिन हर बार पहलाद उनके डंडों से बचकर अप्रभावित रहे इन सभी चीजों को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका देख रही थी उन्होंने पहलाद को धोखा देकर अपनी गोद में बैठा लिया और और जलती आग में बैठ गई जल्दी ही होलिका आग में जलने लगी जबकि पहलाद अप्रभावित रहते हुए वापस आ गए।
इस तरीके से पहलाद को मारने के सारे तरीके असफल हो गए जिससे हिरणकश्यप बहुत ही ज्यादा नाराज हो गया और भगवान विष्णु को भगवान नरसिंह के अवतार में पेश करने वाला एक स्तंभ तोड़ दिया भगवान नरसिंह राक्षस राजा को अपनी तेज नाखूनों से मार दिया इस प्रकार होली का त्यौहार के पहले दिन की रात को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन पौराणिक कथाओं में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है पहले के समय में कई उपासक अगले दिन अपने माथे पर होली की राख को लगाया करते थे समय के साथ-साथ यह राख रंग और गुलाल में परिवर्तित हो गई और होली का एक हिस्सा बन गई।
होली का महत्व – Importance Of Holi in Hindi
होली का त्यौहार होलीका दहन के 1 दिन बाद मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है यह त्यौहार स्वयं को सभी आंतरिक बुराइयों और पिछले पापों से छुटकारा पाने का एक प्रतीक है यह एक ऐसा समय होता है जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं पुराने विवाद संघर्षों को दूर करते हैं साथ ही साथ अपने जीवन को फिर से नए तरीके से शुरु करते हैंभारत के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार कई हिंदुओं के लिए एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है यह अच्छी कृषि और फसल के लिए धन्यवाद देने के रूप में मनाया जाता है।
होली के रीति-रिवाज और परंपराओं की जानकारी – Holi Rituals And Traditions in Hindi
हर्ष उल्लास से भरा यह त्यौहार आमतौर पर 2 दिन के लिए मनाया जाता है होली के रीति-रिवाज की शुरुआत होलिका दहन से ही हो जाती है होली के पहले दिन की रात को इसका आयोजन किया जाता है इस अनुष्ठान में लोगों के द्वारा खुली जगह पर एक लकड़ी की होलिका को स्थापित किया जाता है जिसमें कई तरह के ज्वलनशील पदार्थों को इकट्ठा करके रखा जाता है और शीर्ष पर एक प्रतीकात्मक होलीका को स्थापित किया जाता है।लोग इस त्यौहार की पहली रात को राक्षस होलिका को जलाने के रूप में प्रतीकात्मक तरीके से होलिका दहन के रूप में मनाते हैं वह इनके चारों और इकट्ठा होकर गायन और नृत्य के बीच अनुष्ठान करते हैं अगले दिन होलिका दहन की शांत हुई राख को लोग अपने माथे पर लगाते हैं और अपने घर ले जाते हैं जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होती है।
सुबह से शाम तक इस तरह रंगों का लगाना और एक दूसरे से मिलना जुलना लगा रहता है इस दिन लोग ठंडाई के रूप में भांग के नशे का उपयोग कई तरह से मिठाई और भांग की गोली के रूप में भी करते हैं इस तरह होली का त्यौहार एक भव्य और रंगीन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भारत में होली का उत्सव – Holi Celebration Across India in Hindi
जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत कई प्रकार की संस्कृति और परंपराओं का देश है होली को भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है होली कि कई परंपराओं और अनुष्ठानों के अलावा प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं का पालन भी यहां देखने को मिल जाएगा जो कि आपको काफी आकर्षक रोचक और आंखों को भाने वाला होता है।रंगो का त्यौहार सकारात्मक ऊर्जा का माहौल स्थापित करता है पुराने दोस्तों के साथ एकजुट होकर नए लोग भी इस त्यौहार का अभिन्न अंग बन जाते हैं यह त्यौहार भी राधा और भगवान कृष्ण के प्रेम लीलाओं को याद करते हुए प्रेम का संदेश देता है लोग एक दूसरे से मिलते हैं उन को रंग लगाते हैं और बधाइयां देते हैं साथ ही साथ वह मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते है
ब्रजभूमि के क्षेत्र में एक चंचल परंपरा का पीछा करते हुए पुरुषों को ढाल और महिलाओं को लट थमा दिया जाता है जहां पर महिलाएं लट्ठमार होली का आयोजन करती है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
गुजरात के अहमदाबाद में लड़के इकट्ठे होकर एक पिरामिड का निर्माण करते हैं जिसमें वह जमीन से ऊपर बंधे हुए मक्खन को लेने का प्रयास करते हैं जबकि लड़कियां उन्हें रोकने के लिए उन पर रंग और पानी की बौछार डालती हैं यह आयोजन भगवान कृष्ण की कथा पर आधारित होता है जोकि अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन चुराने का प्रयास करते थे।
सिख समुदाय इस समय मार्शल आर्ट कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है जिसमें कई तरह की कलाबाजियों का प्रदर्शन के साथ कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
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